संसद( Parliament) के मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष महंगाई पर सदन में चर्चा कराने की मांग को लेकर अड़ा हुआ था. पिछले दो हफ़्तों में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में काम काज लगभग न के बराबर हुआ. सदन के भीतर और बाहर विपक्ष का हंगामा, विरोध और प्रदर्शन जारी था. लेकिन सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में मंहगाई पर करीब छः-छः घंटे की लगातार चर्चा हुई. राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस, टीएमसी और अन्य दलों ने सरकार को बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया. दोनों सदनों में चर्चा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा का जवाब दिया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये मोदी सरकार की ही आर्थिक नीतियों के कारण ही कोविड और मंदी के बावजूद भारत अच्छी हालत में बना हुआ है. आगे बताया कि वैश्विक मंदी के इस दौर में जहां कई देश मंदी की चपेट में आ चुके हैं और कई देश मंदी की चपेट में आने वाले हैं, वहां भारत इस मंदी की पहुंच से दूर है. रुपये के लगातार गिरने पर वित्त मंत्री ने कहा कि रुपये अपेक्षाकृत काफी स्वस्थ और अच्छी हालत में है.
‘उज्जवला योजना से जुड़े विपक्ष के आरोपों में दम नहीं’
वित्त मंत्री ने चर्चा के दौरान सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए विपक्षी पार्टियों के कई आरोपों का जवाब भी दिया. जैसे कि उज्ज्वला योजना को लेकर कहा कि गैस का दाम हमारे हाथ में नहीं है. फिर भी हमने 35 करोड़ लोगों तक अपना वादा निभाया है. एलपीजी कवरेज 69 फीसदी से 100 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ा है. ये तभी सम्भव है जब लोग दोबारा गैस सिलेंडर ले रहे हैं, इसलिए ये कहना ग़लत है कि लोग दोबारा गैस भरवा नहीं पा रहे हैं.
जीएसटी को लेकर वित्त मंत्री ने क्या कहा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, बल्कि अब ज्यादा रेवेन्यू मिल रहा है. नौ फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो गया है. जीएसटी के तहत 3.77 लाख करोड़ आया, जबकि राज्यों को 3.93 लाख करोड़ रुपये दिए गए. यानी कि अन्य मदों का देय भी केंद्र ने अपनी ओर से राज्यों को दिया है. राज्यसभा में महंगाई पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पहले 229 आइटम पर 28% GST लगता था लेकिन अब जीएसटी की इस दर में सिर्फ 28 आइटम ही रह गए. आगे केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने कहा कि जीएसटी को लेकर भ्रम की स्थिति दूर होनी चाहिए, जैसे ये कहना ग़लत है कि हमने अस्पताल के इलाज में जीएसटी बढ़ा दिया है. बल्कि अस्पताल के बेड की जहां तक बात है, आईसीयू और इमरजेंसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. लेकिन अगर आप अस्पताल में पांच हज़ार या अधिक का कमरा ले रहे तो उस पर जीएसटी लगाया गया है. इसी तरह ये कहना ग़लत है कि अंतिम संस्कार के कार्यों में जीएसटी लगा दिया है. श्मशान, बरियल आदि पर जीएसटी नहीं है. लेकिन अगर कोई इससे जुड़ा बड़ा सेटअप लगाता है तो उससे जुड़े सामानों पर जीएसटी देना पड़ेगा. यानी इससे आम लोगों पर कोई असर नहीं होगा. ये व्यापारियों के लिए है.
दूध, दही, चूड़ा, बतासा जैसी चीजों पर जीएसटी को लेकर जवाब
बंगाल के सांसद यानी ख़ासतौर पर टीएमसी सांसदों ने सरकार को दही, लाई चूड़ा, बतासा जैसी चीजों पर जीएसटी लगाने को लेकर काफी घेऱा था. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में हर राज्य के सदस्य होते हैं और सब मिलकर निर्णय लेते हैं. सभी सदस्यों ने मिलकर सहमति दी थी कि इन चीजों पर जीएसटी बढ़ाया जाए. तब किसी एक राज्य के प्रतिनिधि ने भी विरोध नहीं किया था. अभी भी फुटकर विक्रेताओं को दूध दही आदि पर जीएसटी नहीं देना पड़ रहा है. लेकिन जिन कंपनियों ने इन चीजों को बड़े पैमाने पर बेंचने के लिए अपना ब्रांड बनाया हुआ उन पर जीएसटी लगाया गया है. जीएसटी से पहले भी दाल, रवा, बेसन आदि पर वैट लगता था. यहां तक कि केरल में भी आटा आदि पर एक से पांच प्रतिशत तक वैट लगता था. झारखंड में भी मैदा सूजी बेसन में पांच फीसदी और महाराष्ट्र में भी पनीर, दूध, लस्सी पर छः प्रतिशत और बंगाल में भी पनीर पर छः प्रतिशत वैट लगता था.
वित्त मंत्री के जवाब के बाद क्या बोला विपक्ष?
बंगाल का नाम आते ही टीएमसी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया और सदन से वॉकआउट कर गए. हालांकि वित्त मंत्री ने बाद में अपना जवाब पूरा किया. जवाब के बाद कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि सरकार सदन में एक्सपोज हुई है, उसके पास विपक्ष के सवालों का कोई जवाब नहीं था. वित्त मंत्री ने अपने जवाब में सिर्फ देश को गुमराह किया है. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार की पोल जनता के सामने खुल गई है अब हम सड़कों पर महंगाई के ख़िलाफ़ संघर्ष करेंगे. महंगाई का विरोध करने के लिए महाराष्ट्र से आने वाली कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल ने सदन में बोलने से पहले गले में ‘गहना’ पहनने की कोशिश की लेकिन जब चेयर ने देखा कि ये गहना दरअसल विरोध के लिए लाया गया. सब्ज़ियों की माला थी जिस कारण इसे पहनने की इजाज़त नहीं दी गई. आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार को लगातार बढ़ते जीएसटी और महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया. चड्ढा ने स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) की सरायों पर जीएसटी लगाने के लिए भी केंद्र सरकार की निंदा की और इसे सिखों और पंजाबियों पर लगाया जाने वाला ‘औरंगजेब का जजिया टैक्स’ करार दिया.